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बीए सेमेस्टर-2 समाजशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2725
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

महत्वपूर्ण तथ्य

भारतीय समाज व सामाजिक संगठन को एक धर्म प्रधान संगठन कहा जा सकता है।

भारतीय सामाजिक संगठन में हो रहे परिवर्तनों को निम्नलिखित रूप से प्रस्तुत किया जा सकता है-

1. जाति व्यवस्था में परिवर्तन
2. विवाह की संस्था में परिवर्तन
3. संयुक्त परिवार प्रणाली में परिवर्तन
4. स्त्रियों की स्थिति में परिवर्तन
5. धार्मिक जीवन में परिवर्तन
6. सांस्कृतिक जीवन में परिवर्तन
7. राजनीतिक जीवन में परिवर्तन
8. अन्य महत्त्वपूर्ण परिवर्तन

संरचनात्मक प्रकार्यात्मक अधिगम के समाजशास्त्र में अनेक अर्थ निकाले गये हैं। इसे 'प्रकार्यात्मक विश्लेषण', 'प्रकार्यात्मक सिद्धान्त' प्रकार्यात्मक अभिमुखन', 'संरचनात्मक- प्रकार्यात्मक अधिगम' आदि शब्दों या सम्बोधनों से सम्बन्धित किया गया है। सामाजिक यथार्थ को समझने के लिए संरचनात्मक प्रकार्यात्मक अधिगम का समाजशास्त्र में महत्त्वपूर्ण स्थान है। डेविस ने तो इस अधिगम को समाजशास्त्र का पर्याय माना है।

संरचनात्मक प्रकार्यात्मक अधिगम का अर्थ समाजशास्त्र में संरचनात्मक प्रकार्यात्मक सिद्धान्त का आधारभूत आधार यह है कि वह एक समाज को स्वनियमित व्यवस्था मानता है जिसके अनेक अंग एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और परस्पर अन्तः निर्भर हैं।

संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक अधिगम संतुलन से जुड़ा हुआ है। इसमें कोई भी परिवर्तन, अप्रतिमानित माना जाता है।

बीसवीं सदी के प्रारम्भिक 5-6 दशकों तक संरचनात्मक प्रकार्यात्मक अधिगम समाजशास्त्रीय अध्ययनों में प्रभावी बना रहा।

संरचनात्मक प्रकार्यात्मक अधिगम के आधारभूत मंतव्य- संरचनात्मक प्रकार्यात्मक अधिगम के आधारभूत मंतव्य निम्नांकित हैं-

(i) प्रकार्यवादी समाज को एक व्यवस्था मानते हैं।
(ii) व्यवस्था के विभिन्न भाग परस्पर अन्तः सम्बन्धित तथा अन्तः निर्भर हैं।
(iii) व्यवस्था के सभी अंग समन्वयता, संतुलन व समायोजन में सहायता प्राप्त करते हैं।
(iv) संरचना प्रत्येक कार्य से सम्बन्धित है।
(v) संरचना या व्यवस्था के प्रकार्य समाज के लिए उपयोगी माने जाते हैं।

पारसन्स ने - निम्न चार प्रकार्यात्मक पूर्व आवश्यकताएँ बतायी हैं-

(1) प्रतिमान निरूपण एवं तनाव संचालन
(2) समन्वयता
(3) लक्ष्य प्राप्ति
(4) अनुकूलन

संरचनात्मक प्रकार्यात्मक के प्रमुख चरण - मर्टन के अनुसार किसी भी अनुसंधानकर्ता को प्रकार्यवाद के विश्लेषण के लिए निम्नलिखित चार चरणों को समझना चाहिए-

(1) किसी भी सामाजिक व्यवस्था के पूर्व आवश्यक तत्त्वों को समझना।
(2) किसी भी सामाजिक व्यवस्था के प्रतिमानों को समझना एवं उस प्रक्रिया को समझना जिसके द्वारा प्रकार्यत्मक संस्थात्मकता संभव होती है।

(3) उन तत्त्वों को मालूम करना जो कि प्रकार्यात्मक विकल्पों का स्वरूप ले सकते हैं।

(4) संरचना का विशद वर्णन करके उस प्रक्रिया के तत्त्वों का उल्लेख करना जो कि सामाजिक व्यवस्था की निरन्तरता बनाए रखते हैं।

हरबर्ट स्पेन्सर - सामाजिक प्रकार्य के बारे में सर्वप्रथम विचार 19वीं शताब्दी में हरबर्ट स्पेन्सर द्वारा प्रतिपादित किये गये।

इमाइल दुर्खीम रैडक्लिफ - ब्राउन के अनुसार दुर्खीम प्रथम विद्वान हैं जिन्होंने प्रकार्यवाद को विधिवत रूप से प्रस्तुत किया है।

दुर्खीम के अनुसार - प्रकार्य शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया जाता है जिनमें से प्रथम अर्थ में इससे किसी प्राणमय गतिविधियों की व्याख्या का ज्ञान होता है।

भारतीय समाजशास्त्र के अध्ययन में प्रयोग आने वाला सर्वप्रथम अधिगम संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक अधिगम है।

मेरियट द्वारा सम्पादित ग्रन्थ 'विलेज इण्डिया स्टडीज इन द लिटिल कम्युनिटी' तथा श्रीनिवास द्वारा सम्पादित 'इण्डियाज विलेजेज' में गाँवों पर अनेक लेखों का संकलन किया गया है।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 भारतीय समाज की संरचना एवं संयोजन : गाँव एवं कस्बे
  2. महत्वपूर्ण तथ्य
  3. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  4. उत्तरमाला
  5. अध्याय - 2 नगर और ग्रामीण-नगरीय सम्पर्क
  6. महत्वपूर्ण तथ्य
  7. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  8. उत्तरमाला
  9. अध्याय - 3 भारतीय समाज में एकता एवं विविधता
  10. महत्वपूर्ण तथ्य
  11. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 4 भारतीय समाज का अध्ययन करने हेतु भारतीय विधा, ऐतिहासिक, संरचनात्मक एवं कार्यात्मक परिप्रेक्ष्य
  14. महत्वपूर्ण तथ्य
  15. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  16. उत्तरमाला
  17. अध्याय - 5 सांस्कृतिक एवं संजातीय विविधताएँ: भाषा एवं जाति
  18. महत्वपूर्ण तथ्य
  19. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  20. उत्तरमाला
  21. अध्याय - 6 क्षेत्रीय, धार्मिक विश्वास एवं व्यवहार
  22. महत्वपूर्ण तथ्य
  23. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 7 भारत में जनजातीय समुदाय
  26. महत्वपूर्ण तथ्य
  27. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  28. उत्तरमाला
  29. अध्याय - 8 जाति
  30. महत्वपूर्ण तथ्य
  31. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  32. उत्तरमाला
  33. अध्याय - 9 विवाह
  34. महत्वपूर्ण तथ्य
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  36. उत्तरमाला
  37. अध्याय - 10 धर्म
  38. महत्वपूर्ण तथ्य
  39. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  40. उत्तरमाला
  41. अध्याय - 11 वर्ग
  42. महत्वपूर्ण तथ्य
  43. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  44. उत्तरमाला
  45. अध्याय - 12 संयुक्त परिवार
  46. महत्वपूर्ण तथ्य
  47. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  48. उत्तरमाला
  49. अध्याय - 13 भारत में सामाजिक वर्ग
  50. महत्वपूर्ण तथ्य
  51. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  52. उत्तरमाला
  53. अध्याय- 14 जनसंख्या
  54. महत्वपूर्ण तथ्य
  55. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  56. उत्तरमाला
  57. अध्याय - 15 भारतीय समाज में परिवर्तन एवं रूपान्तरण
  58. महत्वपूर्ण तथ्य
  59. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  60. उत्तरमाला
  61. अध्याय - 16 राष्ट्रीय एकीकरण को प्रभावित करने वाले कारक : जातिवाद, साम्प्रदायवाद व नक्सलवाद की राजनीति
  62. महत्वपूर्ण तथ्य
  63. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  64. उत्तरमाला

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